शिव तांडव स्तोत्रम्
शिव तांडव स्तोत्र के लाभ और महत्व:
मुख्य लाभ:
- पाप नाश: समस्त पापों का नाश होता है।
- ज्ञान वृद्धि: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
- मोक्ष प्राप्ति: मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- शिव कृपा: भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- मनोबल वृद्धि: आत्मबल और मनोबल में वृद्धि होती है।
- बाधा निवारण: जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
- शत्रु नाश: शत्रुओं का नाश होता है।
- समृद्धि: घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
पाठ विधि:
- सोमवार और त्रयोदशी को पाठ विशेष फलदायी होता है।
- प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर पाठ करें।
- शिव लिंग या शिव के चित्र के सामने पाठ करें।
- बेलपत्र चढ़ाकर पाठ करें।
- ध्यान और एकाग्रता से पाठ करें।
- महाशिवरात्रि पर इसका पाठ विशेष महत्व रखता है।
॥ शिव तांडव स्तोत्रम् ॥
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥1॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥2॥
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणीविधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥5॥