Durga Saptashati

दुर्गा सप्तशती

माँ दुर्गा के सात सौ श्लोकों का स्तोत्र

दुर्गा सप्तशती

दुर्गा सप्तशती के लाभ और महत्व:

मुख्य लाभ:

  • शत्रु नाश: सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश होता है।
  • भय मुक्ति: सभी प्रकार के भय और आशंकाओं से मुक्ति मिलती है।
  • रोग नाश: गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • धन लाभ: आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
  • विद्या प्राप्ति: ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है।
  • विपत्ति से रक्षा: सभी प्रकार की विपत्तियों से रक्षा होती है।
  • सम्मोहन शक्ति: व्यक्तित्व में निखार आता है।
  • आत्मविश्वास: आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

पाठ विधि:

  • नवरात्रि के नौ दिनों में पाठ विशेष फलदायी होता है।
  • प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर पाठ करें।
  • मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर पाठ करें।
  • प्रतिदिन एक अध्याय का पाठ करें।
  • पूरे श्रद्धा और भक्ति से पाठ करें।
  • कुमारी पूजन और हवन के साथ पाठ अधिक फलदायी होता है।

॥ श्री दुर्गा सप्तशती - प्रथम अध्याय ॥

ॐ नमश्चण्डिकायै ॥

मार्कण्डेय उवाच ॥

सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः। निशामय तदुत्पत्तिं विस्तराद् गदतो मम ॥1॥

महामायानुभावेन यथा मन्वन्तराधिपः। स बभूव महाभागः सावर्णिस्तनयो रवेः ॥2॥

स्वारोचिषेऽन्तरे पूर्वं चैत्रवंशसमुद्भवः। सुरथो नाम राजाभूत् समस्ते क्षितिमण्डले ॥3॥

तस्य पालयतः सम्यक् प्रजाः पुत्रानिवौरसान्। बभूवुः शत्रवो भूपाः कोलाविध्वंसिनस्तदा ॥4॥

तस्य तैरभवद् युद्धमतिप्रबलदण्डिनः। न्यूनैरपि स तैर्युद्धे कोलाविध्वंसिभिर्जितः ॥5॥